Hmm, Ah, Ouch, Types Of Interjection In Hindi
इंटरनेट पर चैटिंग करते समय हम ऐसे शब्दों का इस्तेमाल करते है जिनका मतलब हमें खुद को ज्ञात नहीं होता। तो अधिकांश लोग Hmm, Oh, Ouch जैसे शब्द का उपयोग करते हैं।
लेकिन हम नहीं जानते की इनका इंग्लिश में अर्थ क्या है और ऐसे शब्दों को विस्मयादिबोधक शब्द कहा जाता है, इंटरजेक्शन (विस्मयादिबोधक) शब्द क्या है और इसकी परिभाषा और भेद को नीचे आप हिंदी में समझ सकते है।
विस्मयादिबोधक शब्द क्या है? Interjection Words
आश्चर्य, हर्ष, शोक, घृणा आदि के भावों को व्यक्त करने वाले वाक्य विस्मयादिबोधक वाक्य कहलाते हैं। विस्मयादिबोधक चिह्न (!) आमतौर पर इन वाक्यों में उपयोग किए जाते हैं। वह शब्द जो वक्ता या लेखक को आनंद, शोक, घृणा, विस्मय, पश्चाताप आदि की भावनाओं से अवगत कराता है, विस्मयादिबोधक कहलाता है।
जैसे :
- अरे ! पीछे हो जाओ , गिर जाओगे।
- हाय ! वह भी मार गया।
- हाय ! अब मैं क्या करूं।
- अरे ! तुम कब आ गए।
- वाह ! तुमने तो कमाल कर दिया।
विस्मयादिबोधक शब्दों के प्रकार :
1. शोकबोधक
जहाँ पर हाय ! , बाप रे बाप ! , हे राम ! , ओह ! , उफ़ ! , त्राहि – त्राहि ! , आह ! , हा ! आते हैं वहाँ पर शोकबोधक होता है।
जैसे :
- हे राम ! बहुत बुरा हुआ।
- हाय ! नाना जी चल बसे।
- ओह ! तुम्हे किसने पीटा।
2. तिरस्कारबोधक
जहाँ पर छि: ! , थू-थू , धिक्कार ! , हट ! , धिक् ! , धत ! , चुप ! आते हैं वहाँ पर तिरस्कारबोधक होता है।
जैसे :
- धिक्कार ! है तुम पे
- धत ! ऐसी बातें नहीं करते।
3. स्वीकृतिबोधक
जहाँ पर अच्छा ! , ठीक ! , हाँ ! , जी हाँ ! , बहुत अच्छा ! , जी ! आते हैं वहाँ पर स्वीकृतिबोधक होता है।
जैसे :
- हाँ ! मैं कल पहुँच जाउँगा।
- हाँ ! मैंने ही तुम्हारी पुस्तक चुरायी है।
4. विस्मयादिबोधक:
जहाँ पर अरे ! , क्या ! , ओह ! , सच ! , हैं ! , ऐ ! , ओहो ! , वाह ! आते हैं वहाँ पर विस्मयबोधक होता है।
जैसे :
- ओह ! ये कौन है ?
- अरे ! कहाँ से आ रहे हो।
- क्या ! वह सफल हो गया।
5. संबोधनबोधक
जहाँ पर हो ! , अजी ! , ओ ! , रे ! , री ! , अरे ! , अरी ! , हैलो ! , ऐ! आते है वहाँ पर संबोधनबोधक होता है।
जैसे :
- हैलो ! कोई है ?
- ऐ! कहाँ जा रहे हो ?
6. हर्ष बोधक
जहाँ पर वाह -वाह ! , धन्य ! , अति सुन्दर ! , अहा ! , शाबाश ! , ओह ! आते हैं वहाँ पर हर्षबोधक होता है।
जैसे :
- अहा ! मजा आ गया।
- शाबाश ! तुमने ठीक उत्तर दिया।
- वाह! ये तो कमाल हो गया।
7. भयबोधक
जहाँ पर बाप रे बाप ! , ओह ! , हाय ! , उई माँ ! , त्राहि – त्राहि आते हैं वहाँ पर भयबोधक होता है।
जैसे :
- हाय ! मुझे चोट लग गयी।
- त्राहि-त्राहि ! मच गई है।
8. आशिर्वादबोधक
जहाँ पर दीर्घायु हो ! , जीते रहो ! आते हैं वहाँ पर आशीर्वादबोधक होता है।
जैसे :
- जीते रहो ! पुत्र तुम्हें कामयाबी मिले।
9. अनुमोदनबोधक :
जहाँ पर हाँ , हाँ ! , बहुत अच्छा ! , अवश्य ! आते है वहाँ पर अनुमोदनबोधक होता है।
जैसे :
- हाँ , हाँ ! तुम्हारा पक्ष ठीक है।
- अवश्य ! श्री राम आपका साथ देंगे।
10. विदासबोधक
जहाँ पर अच्छा ! , अच्छा जी ! , टा -टा ! आते है वहाँ पर विदासबोधक होता है।
जैसे :
- अच्छा ! अब हम चलते हैं।
- टा-टा ! हम फिर मिलेंगे।
11. विवशताबोधक
जहाँ पर काश ! , कदाचित् ! , हे भगवान ! आते हैं वहाँ पर विवशताबोधक होता है।
जैसे :
- काश ! मेरी माँ मेरे साथ होती।
- हे भगवान ! अब क्या होगा ?
हम्म, आउच, आह जैसे शब्द हमारी भावनाओं को व्यक्त करने वाले शब्द हैं। आपने विस्मयादिबोधक शब्दों के बारे में सुना होगा, ये वही शब्द हैं। ये शब्द भराव (वर्ड फ़िलर) के रूप में हैं।
जिसे हम अपनी भावनाओं को व्यक्त करने के लिए लिखते हैं। ये ऐसे शब्द हैं जो एक छोटे से शब्द में बहुत बड़ी बात कहते हैं, लेकिन जो लोग इसका अर्थ नहीं समझते हैं, वे उनका उत्तर देने में असमर्थ हैं। उन्हें इंटरजेक्शन भी कहा जाता है।