Mahavir Singh Phogat
महावीर सिंह फोगाट, भारतीय कुश्ती के दुनिया में एक प्रमुख नाम हैं। उनकी कड़ी मेहनत और प्रेरणास्पद कहानी ने भारत को गर्वित किया है। इस लेख में, हम आपको महावीर सिंह फोगाट की जीवनी और उनके योगदान के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।
Dara Singh, Sushil Kumar जैसे और भी कई सारे पहलवान है जिन्होंने अपनी पहलवानी से भारत देश का नाम रौशन किया है। इन सब के अलावा महावीर सिंह फोगाट भी एक ऐसे पहलवान है जिन्होंने देश का नाम रौशन किया है।
महावीर सिंह फोगाट का परिचय:
महावीर सिंह फोगाट ने कुश्ती के क्षेत्र में अपनी प्रारंभिक करियर की शुरुआत जीरकपुर, हरियाणा से की थी। उन्होंने एक वक्त में बच्चों के खेलने के लिए मात्र एक माइड होटल ही बनवाया था, जिसमें कुश्ती का प्रशिक्षण देते थे।
ये एक गरीब परिवार से Belong करते थे। इनका सपना था की ये किसी भी तरह से भारत को कुश्ती में International Level पर Gold Medal दिलवाए जो की वे गरीबी के कारण खुद नहीं कर पायें थे।
आपको बता दें की एक समय में ये पहलवान दिल्ली के Famous चांदगी राम अखाड़ा की शान भी कहलाते थे। महावीर सिंह फोगाट चाहते थे की उनका बेटा उनके इस सपने को पूरा करे और India के लिए Gold Medal जीत कर लाए।
पारिवारिक जीवन:
लेकिन महावीर सिंह फोगाट और उनके पत्नी को एक भी बेटा नहीं हुआ। उनकी एक के बाद एक 4 बेटियां हीं हुई, जिसका नाम गीता ,बबीता, रितु और संगीता था।
इन चारो के बाद महावीर को एक बेटा भी हुआ जिसका नाम दुष्यंत था। महावीर सिंह फोगाट अपने भाई के एक बेटे को भी अपने साथ हीं रखता था जिसका नाम ओमकार था।
लगातार चार बेटियां हो जाने पर पहले तो महावीर सिंह फोगाट थोड़ा निराश हो गया। उन्हें लगा की अब भारत को Gold Medal दिलाने का उनका सपना पूरा नहीं हो पायेगा।
लेकिन फिर अपने सपने को साकार करने के लिए इन्होने अपने अपनी बेटियों से पहलवानी करवाने की ठान ली।
महावीर सिंह फोगाट की कहानी:
महावीर सिंह फोगाट की कहानी बेहद प्रेरणास्पद है। वे एक समय ऐसे हालातों में थे जब भारत कुश्ती में महिलाओं का प्रतिनिधित्व किसी भी प्रकार से नहीं कर पा रहा था। इसके बावजूद, महावीर सिंह ने अपनी बेटियों गीता फोगाट और बाबिता फोगाट को प्रतिष्ठित पहलवान बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
महावीर सिंह फोगाट ने सबसे पहले अपनी सबसे बड़ी बेटी गीता और उससे छोटी बबीता से पहलवानी करवाने की ठान ली। बालाली गाँव में जहाँ लड़कियों को परदे में रखा जाता था वहां महावीर सिंह फोगाट गीता और बबीता से पहलवानी करवाने का सोच रहे थे।
जब ये बात उन्होंने गीता और बबीता से कही तो वो दोनों भी हैरान रह गई। ना चाहते हुए भी वे दोनों अपने पीता को माना नहीं कर सकी। फिर क्या था जैसे हीं गीता और बबीता 5 Years की हुई महावीर सिंह फोगाट ने इनकी Training खुद हीं शुरु कर दी।
Starting में तो महावीर ने अपनी बेटियों को गाँव के हीं खेतो में सुबह सुबह खूब दौड़ाया। उसके बाद अपनी दोनों बेटियों को उसके हीं चचेरे भाई ओमकार के साथ कुश्ती करवाते थे।
पहले तो गीता और बबीता हर रोज कुश्ती ना करना पड़े इसके लिए कोई ना कोई बहानेबाज़ी करती रहती थी लेकिन पिता के आगे उनके बहाने कोई काम ना आए।
महावीर पर उस वक्त इतना जूनून सवार हो गया था की वो अखाड़े की बात को गीता और बबीता से खाने के समय या फिर कोई और भी काम करते हुए बताते रहते थे। अपने पिता की इन हरकतों से दोनों बहुत परेशान रहती थी।
महावीर सिंह फोगाट की बेटियां
महावीर ने गीता और बबीता के लम्बे लम्बे बालो को भी कटवा कर बिलकुल हीं छोटे करवा दिए थे। जब वे दोनों School जातीं थी तो School के सभी बच्चे उन दोनों का मज़ाक उड़ाते थे।
यही नहीं गली मोहल्ले के लोग भी गीता और बबीता का मज़ाक उड़ाने लगे थे। लेकिन इन सब बातो का उनके पिता महावीर सिंह फोगाट पर कोई असर नहीं हुआ।
वे अपने इरादे पर डटे रहे और अपनी बेटियों को Training देते रहे। चचेरे भाई से कुश्ती करवाने के बाद महावीर अपनी बेटियों को कुश्ती के दांव-पैच सिखाने लगे और धीरे धीरे उन्हें गाँव में होने वाले कुश्तियों में हिस्सा लेने को कहा जहाँ अखाड़े में उन्हें दुसरे लड़को के साथ कुश्ती करना था।
पहले तो लोग इसका बहुत विरोध करने लगे लेकिन जब गीता और बबीता ने अपनी पहलवानी से लड़को को हराना शुरु किया तो लोगो का मुँह बंद हो गया।
फिर क्या था पिता की कड़ी मेहनत की वजह से अहिस्ता आहिस्ता वे दोनों अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने लगी। पीता से Training लेने के बाद गीता और बबीता बड़े-बड़े अखाड़े में कुश्ती के लिए जाने लगी।
महावीर सिंह फोगाट के योगदान:
उसके बाद पिता के कहने पर 2010 में गीता ने पहली बार भारत के लिए खेला जहाँ Commonwealth Games में Gold Medal जीता। उस समय गीता पहली भारतीय महिला पहलवान थी जिसे Olympics के लिए चुना गया। 2012 के World Wrestling Championship में गीता ने Bronze Medal जीत कर दोबारा भारत का नाम रौशन किया।
गीता के बाद 2014 में हो रहे राष्ट्रमंडल खेल में बबीता ने भी Gold Medal जीत कर भारत का नाम रौशन किया। आगे की Training के लिए महावीर ने अपनी बेटियों को Sports Authority Of India में दाखिला करवा दिया। उसके बाद 2013 Silver और 2015 के Asian Championships में Bronze Medal जीती। महावीर की छोटी बेटी रितु भी रेसलर है।
गीता और बबीता की जीत का पूरा श्रेय उनके पिता महावीर सिंह फोगाट की मेहनत और उनके विश्वाश को जाता है क्योंकि एक छोटे से गाँव में रहने के बावजूद भी उन्होंने अपनी दोनों बेटियों को पहलवानी करवाई।
दिसम्बर 2016 में इस मशहूर पहलवान के जीवन पर एक Film भी बनाई गई थी जिसका नाम “दंगल” है। इस Film में महावीर सिंह फोगाट का Role Film Industry के Famous Actor “Aamir Khan” ने किया है।
महावीर सिंह फोगाट की कहानी हमें दिखाती है कि संघर्ष और मेहनत कभी भी सफलता दिलाने के लिए पर्याप्त होते हैं। उनकी प्रेरणास्पद कहानी आज भी हर किसी को यह सिखने को मिलती है

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Vikas Sahu
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