इस वृद्ध व्यक्ति की कहानी आपकी सोच बदल देगी
यह कहानी है 60 साल के एक वृद्ध व्यक्ति की, उनकी पूरी ज़िन्दगी की। इस कहानी की जरुरत आज उन सभी युवक को है जिसकी ज़िन्दगी में कोई लक्ष्य नहीं है और उनकी ज़िन्दगी सिर्फ एक Waste है । इस कहानी से आपकी ज़िन्दगी में कोई बदलाव आये या न आये इसकी कोई गारंटी नहीं…
यह कहानी है 60 साल के एक वृद्ध व्यक्ति की, उनकी पूरी ज़िन्दगी की। इस कहानी की जरुरत आज उन सभी युवक को है जिसकी ज़िन्दगी में कोई लक्ष्य नहीं है और उनकी ज़िन्दगी सिर्फ एक Waste है । इस कहानी से आपकी ज़िन्दगी में कोई बदलाव आये या न आये इसकी कोई गारंटी नहीं है पर इस बात की पूरी गारंटी है, आपकी सोच में बदलाव जरूर आएगा। तो चलिए सुरु करते है। मेरी आपसे विंती है इस स्टोरी को पूरा पढ़े क्यों की ये 5 मिनट की स्टोरी आज आपको ज़िन्दगी का बहोत बड़ा सबक सिखाने वाली है।
इस 60 साल के वृद्ध व्यक्ति की कहानी आपकी सोच बदल देगी
एक वृद्ध व्यक्ति किसी अनाथ आश्रम के एक कमरे में पड़ा बेड पर लेटा हुआ अपनी बितायी गयी पूरी ज़िन्दगी को याद करता है अपने सपने में । वो याद करता है उन दिनों को जब वो एक छोटा सा बालक था फिर जवानी और अपने बुढ़ापे के दिनों को।
बचपन के दिन
मेरी माँ मुझे कितना प्यार करती और ख्याल रखती थी। जब मैं बिना कुछ खाए -पिए खेलता था तो मेरे पीछे -पीछे आती थी खाना का निवाला लेकर और मुझे खिलाती थी। मेरे पिता हमेशा मुझे समझाते थे बेटा ये न करो गलत है और उसे करो ये तुम्हारे लिए अच्छा है , मगर मैं उनकी बिलकुल नहीं सुनता था। इसी तरह बचपन के पुरे दिन बीत गए प्यार और दुलार में और किसी ने भी किसी चीज़ के लिए मना नहीं किया और सभी से बहोत सारा प्यार मिला।
जवानी के दिन
पिताजी गुस्सा करते और कहते थे , जीवन में कोई लक्ष्य बनाओ और उसे हासिल करो, ज़िंदगी को ऐसे बर्बाद मत करो। कोई ऐसा काम करो जिससे तुम्हारे जाने के बाद भी पूरी दुनिया याद करे। छोड़ दो ये सब आवारों की तरह दोस्तों के साथ घूमना , आज तुम कुछ चंद रूपये कमा कर अपनी पूरी ज़िन्दगी को अच्छे से नहीं बिता सकते। पिता की बातें को पूरी तरह से इग्नोर कर देता था, ना बचपन में उनकी कोई बात सुना और न ही जवानी में ।
वृद्ध के दिन ( Present Day )
मैंने अपनी पूरी ज़िन्दगी खुद से ही बर्बाद कर ली। अगर मैं पिता के बात को सुना होता तो आज मुझे मेरे बेटे ऐसे ही किसी अनाथ आश्रम में नहीं छोड़ जाते।अगर आज मैं मर भी जाता हु तो दुनिया को कोई फर्क नहीं पड़ेगा और न ही कोई मुझे याद करेगा क्योंकी मैंने अपने जीवन में ऐसा कोई काम ही नहीं किया।
ये सब सोचकर वृद्ध व्यक्ति रोने लगा, चीखने और चिल्लाने लगा ये सुनकर एक औरत उसके पास आती है और कहती है क्या हुआ कोई बुरा सपना देखे हो और उठो तुम्हे कॉलेज नहीं जाना है क्या आज । वास्तव में वो वृद्ध व्यक्ति एक 18 साल का लड़का होता है जो ये ख़्वाब देखता है ।
फिर उस 18 साल के लड़के ने खुद से एक वादा किया की वक़्त को यूँ ही बर्बाद नहीं करना है और पूरी लगन और मेहनत से अपने जीवन के लक्ष्य को पूरा करूँगा और एक अच्छी ज़िन्दगी जियूँगा।
वाह विकास भाई, बहुत ही अच्छी और Motivational Story है।
hmm aage bhi hum aise lekh publish karte rahege