Physics : भौतिक विज्ञान की हिंदी परिभाषा!
What is Physics in Hindi: भौतिकी क्या है? जानिए भौतिकी की परिभाषा, इतिहास, महत्व और शाखाओं के बारे में हिंदी में। शिक्षा क्षेत्र में हम अक्सर फिजिक्स के बारे में सुनते हैं, आज हम सरल शब्दों में फिजिक्स की एक सरल परिभाषा लेकर आए हैं। ज्यादा नहीं लेकिन आपको इस आर्टिकल में बेसिक फिजिक्स की जानकारी जरूर मिलेगी।
शिक्षा में भौतिकी में सबसे बड़ी आकाशगंगाओं से लेकर सबसे छोटे उप-परमाणु कणों तक ब्रह्मांड का अध्ययन शामिल है। इसके अलावा, यह रसायन विज्ञान, समुद्र विज्ञान, भूकंप विज्ञान और खगोल विज्ञान सहित कई अन्य विज्ञानों का आधार है।
भौतिकी (Physics) क्या है परिभाषा दीजिए?
भौतिकी (Physics) एक प्राकृतिक विज्ञान है जो अंतरिक्ष और समय के माध्यम से पदार्थ, उसकी गति और व्यवहार और ऊर्जा और बल की संबंधित संस्थाओं का अध्ययन करता है। भौतिकी सबसे मौलिक वैज्ञानिक विषयों में से एक है, और इसका मुख्य लक्ष्य यह समझना है कि ब्रह्मांड कैसे व्यवहार करता है।
भौतिकी की परिभाषा – Definition of physics in hindi
भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें पदार्थ और ऊर्जा की प्रकृति और गुणों का अध्ययन किया जाता है। भौतिकी में यांत्रिकी, ऊष्मा, प्रकाश, विकिरण, ध्वनि, विद्युत, चुंबकत्व और पदार्थ के रूप में परमाणु की संरचना शामिल है।
Physics is the branch of science in which the nature and properties of matter and energy are studied. Physics includes the mechanics, heat, light, radiation, sound, electricity, magnetism and the structure of an atom.
History of Physics in Hindi
भौतिकी विज्ञान की मौलिक शाखा है, जिसे प्रकृति और दर्शन के अध्ययन से विकसित किया गया था। 19वीं शताब्दी के अंत तक इसे ‘प्राकृतिक दर्शन‘ (Natural Philosophy) कहा जाता था। वर्तमान में पदार्थ, ऊर्जा और उसकी अन्योन्यक्रियाओं के अध्ययन को भौतिकी कहा जाता है।
Importance of Physics
भौतिकी, प्रकृति विज्ञान की एक विशाल शाखा है। भौतिकी तकनीकी बुनियादी ढांचे में योगदान करती है और वैज्ञानिक प्रगति और खोजों का लाभ उठाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षित कर्मियों को प्रदान करती है।
रसायनज्ञों, इंजीनियरों और कंप्यूटर वैज्ञानिकों के साथ-साथ अन्य भौतिक और जैव चिकित्सा विज्ञान के चिकित्सकों की शिक्षा में भौतिकी एक महत्वपूर्ण तत्व है।
फिजिक्स के जनक कौन है?
न्यूटन भौतिकी के जनक हैं। लेकिन न्यूटन, गैलीलियो और आइंस्टीन सभी को ‘आधुनिक भौतिकी का जनक’ कहा जाता है। न्यूटन को उनके गति के नियम के लिए, गैलीलियो को वैज्ञानिक क्रांति और अवलोकन संबंधी खगोल विज्ञान में उनके योगदान के लिए, और आइंस्टीन को सापेक्षता के अपने महत्वपूर्ण सिद्धांत के लिए।
Father Of Physics In Hindi,फिजिक्स वर्ल्ड पत्रिका (दिसंबर 1999) द्वारा आयोजित वैज्ञानिकों के एक सर्वेक्षण के अनुसार, इतिहास के शीर्ष दस भौतिक विज्ञानी इस प्रकार हैं:
भौतिक विज्ञानी | देश | योगदान |
गैलीलियो | इटली | जड़त्व का नियम, गति के समीकरण एवं दूरदर्शी का निर्माण |
जी० मार्कोनी | इटली | बेतार संदेश, रेडियो तथा बेतार टेलीग्राफी |
एर्निको फर्मी | इटली | कृत्रिम रेडियोसक्रिय तत्वों की पहचान, परमाणुभट्टी का निर्माण |
न्यूटन | इंग्लैंड | सार्वत्रिक गुरूत्वाकर्षण का नियम, गति के नियम, परावर्तक दूरदर्शी, अवकलन गणित का आविष्कार, द्विपद प्रमेय का नियम |
जे० जे० थॉमसन | इंग्लैंड | इलेक्ट्रॉन की खोज |
जेम्स चैडविक | इंग्लैंड | न्यूट्रॉन की खोज |
फैराडे | इंग्लैंड | विद्युत् चुम्बकीय प्रेरण के नियम, विद्युत् अपघटन के नियम एवं डायनेमी का आविष्कार |
जॉन डाल्टन | इंग्लैंड | परमाणु सिद्धांत का प्रतिपादन |
डा० डेनिश गेबर | इंग्लैंड | त्रिविमीय फोटोग्राफी की खोज |
हेनरी केवेन्डिश | इंग्लैंड | पृथ्वी के घनत्व का परिकलन |
हम्फ्री डेवी | इंग्लैंड | सेफ्टी लैंप का आविष्कार |
रॉबर्ट वाटसन वाट | इंग्लैंड | रडार का आविष्कार |
रॉन्टजन | जर्मनी | X-किरणों का आविष्कार |
आइन्स्टीन | जर्मनी | आपेक्षिकता का विशिष्ट एवं व्यापक सिद्धांत, प्रकाश-विद्युत् प्रभाव की व्याख्या, द्रव्यमान और ऊर्जा की तुल्यता (E=mc2), फोटॉन की खोज, द्रव्यमान क्षति का पता |
हाइजेनबर्ग | जर्मनी | अनिश्चितता का सिद्धांत एवं क्वांटम यांत्रिकी का निर्माण |
जोह्जंस केपलर | जर्मनी | ग्रहों की गति से सम्बंधित नियम |
प्रो० जॉन वारडीन | जर्मनी | अतिचालकता का सिद्धांत |
मैक्स प्लांक | जर्मनी | क्वाण्टम सिद्धांत का प्रतिपादन |
जे. राबर्ट ऑपेन हीमर | अमेरिका | परमाणु विज्ञान बम का निर्माण (1945 ई.) |
एच० ए० बैथे | अमेरिका | तारों में उर्जा उत्पादन की व्याख्या |
आर० पी० फाइनमेन | अमेरिका | क्वाण्टम विद्युत् गतिकी में शोध कार्य |
थॉमस एल्वा एडीसन | अमेरिका | तापायनिक उत्सर्जन की खोज |
डॉ० एडवर्ड टेलर | अमेरिका | हाइड्रोजन बम का निर्माण (1952 ई.) |
मिलिकॉन | अमेरिका | इलेक्ट्रॉन आवेश का निर्धारण |
हेनरी बेक्वेरल | फ्रांस | रेडियोसक्रियता की खोज |
डी ब्रोग्ली | फ्रांस | द्रव्य तरंगों की भविष्यवाणी एवं द्रव्य की द्वैती प्रकृति |
मैक्सवेल | स्कॉटलैंड | प्रकाश का विद्युत्-चुम्बकीय सिद्धांत, गैस के अणुओं का वेग वितरण नियम |
नील बोर | डेनमार्क | हाइड्रोजन परमाणु की संरचना और विकिरण का क्वाण्टम सिद्धांत |
ए० सलाम | पाकिस्तान | विद्युत् चुम्बकीय तथा क्षीण बलों का एकीकरण |
आर्किमिडीज | यूनान | द्रवों के उत्प्लावन संबंधी नियमों का प्रतिपादन, लीवर का सिद्धांत, आर्किमिडियन स्कू का निर्माण, विशिष्ट गुरूत्व की खोज |
कॉपरनिकस | पोलैंड | सौर मण्डल की खोज, सूर्यकेंद्री सिद्धांत |
डॉ० एच० यूकावा | जापान | मेसॉन नामक कण की खोज |
डॉ० के० एम० कृष्णन | भारत | ‘रमण प्रभाव’ की खोज में डा० सी० वी० रमण के सहयोगी |
जे० वी० नार्लीकर | भारत | थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी के नवीन सिद्धांत का प्रतिपादन |
डॉ० सुब्रह्मण्यम चंद्रशेखर | भारत | खगोल विज्ञान, प्लाविक भौतिकी, गणितीय धारा भौतिकी एवं सामान्य सापेक्षता सिद्धांत का प्रतिपादन, चंद्रशेखर सीमा (Chandrasekhar Limit)– व्हाइट ड्वार्फ (White Dwarf) यानी श्वेत बौने नाम के नक्षत्रों की सीम, 1983 ई० में भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त |
डॉ० राजा रमन्ना | भारत | भारत के प्रथम परिक्षण में महत्वपूर्ण योगदान |
डॉ० विक्रम भारत साराभाई | भारत | अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में प्रसिद्ध वैज्ञानिक, कॉस्मिक किरणों के अध्ययन पर महत्त्वपूर्ण योगदान |
बी० टी० नाग चौधरी | भारत | परमाणु विज्ञान पर महत्त्वपूर्ण शोध कार्य, साइक्लोट्रॉन के आविष्कार में डॉ० लोरेन्स के सहयोगी |
प्रो० सतीश धवन | भारत | प्रमुख भारतीय वैज्ञानिक, अंतरिक्ष अनुसंधान के क्षेत्र में महत्त्वपूर्ण योगदान, भारतीय कृत्रिम उपग्रह ‘आर्यभट्ट एवं ‘रोहिणी’ के प्रक्षेपण में महत्त्वपूर्ण भूमिका |
आर्यभट्ट | भारत | 5वीं शताब्दी के सुविख्यात गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री, गणित सम्बन्धी महत्वपूर्ण खोजें |
भास्कर प्रथम | भारत | 7वीं शताब्दी के सुविख्यात खगोलशास्त्री |
भास्कराचार्य द्वितीय | भारत | 12वीं शताब्दी के सुविख्यात गणितज्ञ एवं खगोलशास्त्री |
श्रीनिवास रामानुजम | भारत | नम्बर थ्योरी में महत्त्वपूर्ण योगदान |
एस० एन० बोस | भारत | बोसॉन नामक कण की खोज |
एच० जे० भाभा | भारत | अंतरिक्ष किरणों की बौछार का सिद्धांत एवं भारत में परमाणु ऊर्जा के जनक |
एम० एन० साहा | भारत | तापीय आयनीकरण का सिद्धांत |
सी० वी० रमण | भारत | प्रकाश के प्रकीर्णन से संबंधित रमण प्रभाव की खोज-1928 ई० (1930 ई० में नोबेल पुरस्कार प्राप्त, भौतिकी के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय), क्रिस्टल की संरचना पर अध्ययन एवं खोज |
जे० सी० बोस | भारत | बेतार संदेश, पौधों में चेतना की खोज, क्रीस्कोग्राफ (Crescograph) का आविष्कार |
भौतिक शास्त्र की शाखाएं – Types of Physics in hindi
फिजिक्स कितने प्रकार के होते हैं? भौतिकी मैं हम विज्ञान का अध्ययन करते है, इसमें द्रव्य, ऊर्जा, पदार्थ के बारे मैं पढ़ते है।
भौतिकी दो प्रकार की होती है
- Classical Physics: शास्त्रीय भौतिकी: शास्त्रीय भौतिकी मैं शरीर और बलों, ध्वनि विज्ञान के बारे मैं अध्ययन किया जाता है
- Modern Physics: सापेक्षता और क्वांटम यांत्रिकी के बारे मैं अध्ययन किया जाता है
चिरसम्मत फिजिक्स (Classical Physics)
1900 ई. तक यानि 20 वी सदी तक की भौतिकी को चिरसम्मत भौतिकी कहा जाता है।
चिरसम्मत भौतिकी में निम्न शाखाएँ आती है –
यांत्रिकी (Mechanics)
इस शाखा में वस्तुओं पर आरोपित होने वाले बल (Force) तथा वस्तुओं की गति (Velocity) का अध्ययन किया जाता है।
उष्मागतिकी (Thermodynamics)
इसमें ऊष्मा (Heat), ताप (Temperature) तथा ऊर्जा (Energy) के विभिन्न प्रकार में आपस में सम्बन्ध तथा ऊष्मा (Heat), ताप (Temperature) एवं सूक्ष्म कणों से बने निकाय आदि का अध्ययन किया जाता है।
प्रकाशिकी (Optics)
इस शाखा में प्रकाश की प्रकृति (Nature of light) , प्रकाश के गुण (Properties of light) और प्रकाश से सम्बन्धित सभी घटनाओं (परावर्तन तथा अपवर्तन Reflection and Refraction) आदि का अध्ययन किया जाता है।
विद्युत चुम्बकत्व (Electromagnetic)
आवेशित कणों (Charged Particles) तथा वस्तुओं में विद्युत चुम्बकत्व (Electromagnetism) , चुम्बकीय तरंगे (Magnetic waves), चुम्बकीय प्रभाव (Magnetic effect) आदि का अध्ययन किया जाता है।
ध्वनि विज्ञान (Acoustics)
इसमें ध्वनी की प्रकृति (Nature of sound), ध्वनी तरंगों (Sound waves), ध्वनि के गुणों (Properties of sound) का अध्ययन किया जाता है।
चिरसम्मत तरंग यांत्रिकी (Classical wave Mechanics)
चिरसम्मत भौतिकी की इस शाखा में प्रगामी तथा अप्रगामी तरंगों (Progressive and backward waves) का अध्ययन किया जाता है।
भौतिकी की शाखाएँ (Branches of physics in Hindi)
आधुनिक फिजिक्स (Modern Physics)
भौतिकी की इस शाखा में कणों तथा ऊर्जा के व्यवहार (Behavior of particles and energy) का अध्ययन किया जाता है।
इसमें बहुत ही छोटे स्केल पर भी इनका अध्ययन आसानी से व स्वच्छता से किया जा सकता है।
आधुनिक भौतिकी (Modern Physics) की शाखाएँ निम्न प्रकार है –
आपेक्षिक भौतिकी (Relativity)
भौतिकी की इस शाखा में प्रकाश के वेग (Velocity of light) के लगभग बराबर गति से गतिमान कणों यानि पिण्डों का अध्ययन किया जाता है।
क्वांटम यांत्रिकी (Quantum Mechanics)
इसमें बहुत कम ऊर्जा स्तरों का (Low energy levels) , प्रकाश तथा कणों की द्वेत प्रकृति (Dual nature of light and particles) से जुड़े सिद्धांत आदि का अध्ययन किया जाता है।
परमाणु भौतिकी (Atomic Physics)
इस शाखा में परमाणु की संरचना (Structure of atom), परमाणु में इलेक्ट्रान की व्यवस्था (arrangement of electron in atom), परमाणु का आकर (size of atom) आदि का अध्ययन किया जाता है।
नाभिकीय भौतिकी (Nuclear Physics)
इस शाखा में परमाणु के नाभिक की स्थिति तथा गुणों (Position and properties of nucleus) का अध्ययन किया जाता है।
Physics Formulas List – फिजिक्स विज्ञान के सभी सूत्र
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Basic Physics Formulas & Notes
बुनियादी भौतिकी सूत्र | संकल्पना | फार्मूला |
---|---|---|
औसत स्पीड फार्मूला | इसका उपयोग तय की गई दूरी (डिस्टेंस) के साथ-साथ समय अवधि (टाइम) के लिए चलती किसी चीज़ की औसत गति (स्पीड) की गणना के लिए किया जाता है। | S = dt |
त्वरण फार्मूला | त्वरण समय में परिवर्तन के लिए वेग (Velocity) में परिवर्तन की दर को संदर्भित करता है। इसे प्रतीक a से चित्रितकिया जाता है। | a =v-ut |
घनत्व (Density) फार्मूला | यह सूत्र किसी विशिष्ट क्षेत्र में सामग्री की जड़ता को दर्शाता है। | P=mV |
पॉवर फार्मूला | किसी गतिविधि को करने की क्षमता को ऊर्जा के रूप में जाना जाता है। दूसरी ओर, किसी विशेष अवधि के लिए किसी गतिविधि (कार्य) को करने में खर्च की गई ऊर्जा को शक्ति कहा जाता है। | P=Wt |
न्यूटन का दूसरा लॉ | सूत्र का उपयोग करके, बल को पिंड के द्रव्यमान और त्वरण के गुणनफल द्वारा व्यक्त किया जा सकता है। | F = ma |
वेट फार्मूला | फार्मूला उस बल को मापता है जिसके साथ कोई वस्तु गुरुत्वाकर्षण के कारण गिरती है। | W=mg |
प्रेशर फार्मूला | दबाव वस्तु के प्रति इकाई क्षेत्र में लागू बल की मात्रा को संदर्भित करता है। | P=FA |
ओम (Ohm) लॉ फार्मूला | ओम का नियम कहता है कि किसी चालक पदार्थ से गुजरने वाली धारा चालक के दो समापन बिंदुओं के बीच अंतर के समानुपाती (Proportional) होती है। | V= I × R |
काइनेटिक एनर्जी फार्मूला | गतिज ऊर्जा (Kinetic) वह ऊर्जा है जो किसी चलती हुई चीज़ की गति की स्थिति के कारण होती है। | E = 12mv² |
फ़्रिक्वेंसी फार्मूला | फ़्रिक्वेंसी प्रति सेकंड या तरंग चक्रों की संख्या के रूप में पूर्ण क्रांतियों को संदर्भित करती है। | F =vλ |
पेंडुलम फार्मूला | यह समीकरण गणना करता है कि पेंडुलम सेकंड में आगे और पीछे कितना समय लेता है। | T = 2π√Lg |
फारेनहाइट फार्मूला | यह तापमान के लिए रूपांतरण सूत्र है। | F = (95× °C) + 32 |
वर्क फार्मूला | कार्य सूत्र विस्थापन के परिमाण और बल के घटक के गुणन को मापता है। | W = F × d × cosθ |
टार्क फार्मूला | टार्क घूर्णी बल या मोड़ प्रभाव है। यह के परिमाण को मापता है | T = F × r × sinθ |
विस्थापन (Displacement) फार्मूला | वस्तु की स्थिति में उसके प्रारंभिक स्थान से उसकी अंतिम स्थिति में परिवर्तन को संदर्भित करता है। | D = Xf–Xi = ΔX |
मास फार्मूला | यह सूत्र बल और द्रव्यमान के बीच संबंध का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ F = बल, m = द्रव्यमान और a = त्वरण है। | F = ma or m = F/m |
Important Physics Formulas in Hindi
- क्षेत्रफल ( A ) = लम्बाई × चौड़ाई
- आयतन ( V ) = ल. × चौ. × ऊं.
- घनत्व ( ρ ) = द्रव्यमान/आयतन
- वेग ( V ) या चाल = विस्थापन/समय
- त्वरण ( a ) , गुरुत्वीय त्वरण ( g ) , अभिकेन्द्र त्वरण = वेग में परिवर्तन/समय
- रैखिक संवेग ( P ) = द्रव्यमान × वेग
- बल ( F ) = द्रव्यमान × त्वरण
- आवेग ( J ) या I = बल × समय
- कार्य ( W ) या ऊर्जा ( E ) = बल × विस्थापन
- शक्ति ( P ) = कार्य / समय
- दाब ( P ) या प्रतिबल = बल / क्षेत्रफल
- पृष्ठ तनाव ( T ) = बल / लम्बाई
- बल नियतांक ( K ) = बल / विस्थापन
- विकृति = विन्यास में परिवर्तन/प्रारम्भिक विन्यास
- प्रत्यास्थता गुणांक = प्रतिफल/विकृति
- घूर्णन त्रिज्या या परिभ्रमण त्रिज्या ( K ) = दूरी
- जड़त्व आघूर्ण ( I ) = द्रव्यमान × ( दूरी )2
- वेग प्रवणता = वेग / दूरी
- बल आघूर्ण ( τ ) बल × दूरी
- प्रतिबल = बल / क्षेत्रफल
- आवृत्ति ( ν) = कम्पन / समय
- प्लांक स्थिरांक ( h ) = ऊर्जा/आवृत्ति = E/ν
- तरंगदैर्घ्य ( λ ) = दूरी
- दक्षता ( η ) = निर्गत कार्य अथवा ऊर्जा/निवेशी कार्य अथवा ऊर्जा
- सार्वत्रिक गुरुत्वीय नियतांक ( G ) = F = Gm1m2/r2 G = Fr2/m1m2
- दाब प्रवणता = दाब/ दूरी
- श्यानता गुणांक ( η ) = बल/क्षेत्रफल × वेग प्रवणता
- पृष्ठ ऊर्जा = ऊर्जा/क्षेत्रफल
- पृष्ठ ऊर्जा = ऊर्जा/क्षेत्रफल
- विशिष्ट ऊष्मा = ऊर्जा/द्रव्यमान × तापवृद्धि
- क्षय नियतांक = 0.693/अर्द्धआयु
- क्रान्तिक वेग ( v c) = रेनॉल्ड संख्या × श्यानता गुणांक/घनत्व × त्रिज्या
- क्रान्तिक वेग ( v e) = √2 × पृथ्वी की त्रिज्या × गुरुत्वीय त्वरण
- हबल नियतांक ( Hubble Constant ) (H0) = V/D = पश्चसरण चाल (Recession speed)/दूरी
- दाब ऊर्जा = दाब × आयतन
- गुप्त ऊष्मा = ऊष्मीय ऊर्जा/द्रव्यमान
हिंदी परिभाषा भौतिक विज्ञान क्या है?
भौतिकी विज्ञान की वह शाखा है जिसमें ऊर्जा के विभिन्न रूपों और पदार्थ के साथ उनकी बातचीत का अध्ययन किया जाता है। निरंतर वैज्ञानिक अध्ययनों से अब यह सिद्ध हो गया है कि ब्रह्मांड पदार्थ और ऊर्जा से बना है और जो कुछ भी स्थान घेरता है उसे पदार्थ कहा जाता है।
भौतिकी की सबसे पुरानी शाखा क्या है?
शास्त्रीय भौतिकी भी भौतिकी की सबसे पुरानी शाखाओं में से एक है। जो कुछ भी चल रहा है वह इस क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है। सूर्य के चारों ओर घूमने वाले ग्रहों से लेकर व्यवस्थित तरीके से पेंडुलम कैसे झूलते हैं, शास्त्रीय भौतिकी इस घटना को समझाने का प्रयास करती है।