गन्ने की व्यावसायिक खेती कैसे करें? गन्ने की खेती

अगर आप भी गन्ने की वैज्ञानिक खेती करने की सोच रहे है तो निचे दिए गए जानकारी से आप अधिक से अधिक मुनाफा कमा सकते हैं।
गन्ने की खेती को अगर कृषि वैज्ञानिक द्वारा बताए गए तकनीको से की जाये तो किसानो को बहुत हीं कम लागत में अच्छा Benefit हो सकता है।

भारत सरकार समय समय पर गन्ने की फसल की दाम निर्धारित करती रहती है जिससे किसानो को उचित दाम मिल सके।
आइये जानते है की गन्ने की खेती में अच्छे पैदावार के लिए कैसे की भूमि की तैयारी करे, किस तरह की जलवायु होनी चाहिए, खाद कब और कितना देना चाहिए आदि।
गन्ने की खेती व कटाई कैसे करें? Sugercane Farming
यदि आपके पास 1 एकड़ या अधिक भूमि है, तो आप गन्ने की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। गन्ना लगाना आसान है और शनि भी अच्छा है। तो आइए जानते हैं गन्ने की खेती के बारे में ताकि आप अच्छी तरह से खेती करके अच्छी कमाई कर सकें:
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भूमि चयन व तैयारी
कृषि वैज्ञानिको द्वारा गन्ने की खेती के लिए गहरी दोमट भूमि सबसे Best मानी जाती है। भूमि की जुताई 40 से 60cm तक गहरी करनी चाहिए क्योंकि 75% जड़े इसी गहराई पर पाई जाती है। खेती शुरु करने से पहले भूमि की जुताई कर उसे भुरभुरा बना लें फिर उसपर पाटा चला कर उसे समतल बना लें।
गन्ने की खेती के लिए खेत को खरपतवार से दूर रखना जरुरी है। खेत की आखिरी जुताई करने से पूर्व 10-12 Ton प्रति एकड़ गाय की सड़ी हुई गोबर की खाद को भूमि में मिला देना चाहिए।
जलवायु और बुआई का समय
गन्ने की अच्छी बढ़ोतरी के लिए लम्बे समय तक गर्म और नम मौसम साथ हीं अधिक बारिश का होना Best होता है। गन्ने की बुआई के लिए Temperature 25 से 30 डिग्री से. होना चाहिए। October से November का महिना गन्ना लगाने का सबसे सही समय होता है। इसके अलावा February से March में भी गन्ने की खेती की जा सकती है। गन्ना 20 से 25 डिग्री से. तापमान पर अच्छा पनपता है।
खाद प्रबंधन व उर्वरक प्रबंधन
गन्ने की अधिक उत्पादन के लिए प्रति Hectare 300kg नत्रजन(Nitrogen), 80kg स्फूर (Phosphorus) और 60kg पोटाश(Potash) की अव्यश्कता होती है।
नत्रजन को तीन बराबर भागो में मतलब प्रतेक भाग में 100kg अंकुरण के वक्त या फिर बुआई के 30 दिन , 90 दिन और 120 दिन के बाद खेत में डाल देना चाहिए और फिर फसल पर मिट्टी चढ़ा देना चाहिए।
स्फूर (Phosphorus) और पोटाश(Potash) की पूरी मात्रा गन्ना लगाते समय हीं खेत में दे देनी चाहिए।
सिंचाई व जल प्रबंधन
गन्ने की खेती में गर्मी के दिन में 10 दिन और ठंड के दिन में 20 दिन के Interval पर खेत की सिंचाई करनी चाहिए। फवाड़ा विधि से सिंचाई करने पर उपज में वृद्धि होती है साथ ही पानी की बचत भी होती है।
गन्ने की फसल को लगाने के 10 से 15 दिनों के बाद खेत में बनी पपड़ी तोड़ना बहुत अव्यश्क होता है इससे अंकुरण जल्दी होता है ओर खरपतवार भी कम आते है।
गन्ने की फसल को गिरने से बचाने के लिए गुड़ाई कर के 2 बार फसल पर मिट्टी डाल देना चाहिए और गन्ने की पत्तियों को आपस में बांध देना चाहिए।
किट और मक्खियों से बचाव
गन्ने के बीज को नम गर्म हवा से उपचारित करने पर वे रोग रहित हो जाते है। फसल को रोगों से बचाने के लिए 600g डायथेम एम. 45 को 250 लीटर पानी के घोल में 5 से 10 मिनट तक डुबाना चाहिए। रस चुसने वाले कीड़ो का प्रकोप गन्नो पर ज्यादा होता है इसलिए इस घोल में 500ml मिलेथियान भी मिलाया जाना चाहिए।
गन्ने के टुकड़ो को लगाने से पहले मिट्टी के तेल और कोलतार के घोल में दोनों सिरो को डूबा कर उपचारित करने से दीमक का प्रकोप कम हो जाता है।
निष्कर्ष:
जी हाँ दोस्तों आपको आज की पोस्ट कैसी लगी, आज हमने आपको बताया कि Sugercane Farming Kaise Kare और Ganne Ki Kaise Karte Hai बहुत ही आसान शब्दों में हमने भी आज की पोस्ट में सीखा।
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गन्ने की वैज्ञानिक खेती करने का तरीका आज इस पोस्ट में सीखा। आपको इस पोस्ट की जानकारी अपने दोस्तों को भी देनी चाहिए। तथा Social Media पर भी यह पोस्ट ज़रुर Share करे। इसके अलावा, कई लोग इस जानकारी तक पहुंच सकते हैं।
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