भारत में, राज्य का मुख्यमंत्री आम तौर पर विधानसभा चुनावों के बाद बनने वाली सरकार में सबसे बड़ी पार्टी के नेता को राज्यपाल द्वारा नियुक्त किया जाता है। इस ब्लॉग पोस्ट में मुख्यमंत्री के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया के बारे में चर्चा की गई है।
चूंकि भारत में विधानसभा चुनाव प्रत्यक्ष चुनाव होते हैं, इसलिए आम तौर पर जनता द्वारा चुनी गई सबसे बड़ी पार्टी का नेता ही मुख्यमंत्री बनता है।
हालांकि कई बार चुनाव के बाद कोई भी पार्टी बहुमत नहीं हासिल कर पाती है। ऐसे में दो या दो से अधिक पार्टियां गठबंधन सरकार बनाती हैं। गठबंधन सरकार में मुख्यमंत्री पद किस पार्टी को मिलेगा, यह गठबंधन करार के आधार पर तय होता है।
संविधान के अनुच्छेद 164 में यह प्रावधान है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा की जाएगी। विधानसभा चुनावों में पार्टी के बहुमत वाले नेता को राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में नियुक्त किया जाता है।
- राज्यपाल के पास नाममात्र की कार्यकारी शक्ति होती है, लेकिन वास्तविक कार्यकारी अधिकार मुख्यमंत्री के पास होता है।
- राज्यों में कार्यपालिका के उत्तरदायी या संसदीय स्वरूप की व्यवस्था होती है, इसलिए जिस दल के पास विधायिका में बहुमत होता है, राज्यपाल उस दल के नेता को मुख्यमंत्री के रूप में पद ग्रहण करने और मंत्रिपरिषद बनाने के लिए आमंत्रित करता है।
- वास्तविक कार्यकारी शक्तियों का प्रयोग मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में मंत्रिपरिषद द्वारा किया जाता है। आप यह भी जानते हैं कि राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद के अन्य मंत्रियों की नियुक्ति की जाती है।
हाल ही में पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखंड के 11वें मुख्यमंत्री (CM) के रूप में शपथ ली। उन्होंने 2022 की शुरुआत में होने वाले विधानसभा चुनाव से कुछ महीने पहले ही पदभार ग्रहण किया था।
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इस प्रकार हम देखते हैं कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति में जनता की भूमिका अहम होती है। चुनाव में जनता किस पार्टी को जिताती है, उसी का नेता आम तौर पर मुख्यमंत्री बनता है। लेकिन औपचारिक रूप से नियुक्ति राज्यपाल के हाथों होती है।
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