श्री हनुमान चालीसा | हनुमान चालीसा का पूरा पाठ - Hindi

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November 20, 2023 (1y ago)

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श्री हनुमान चालीसा हिन्दू धर्म में बड़ी प्रसिद्ध और पवित्र आराधना है। यह भगवान हनुमान जी को समर्पित 40 चौपाइयों वाली एक चालीसा है।

आपके लिए Shri Hanuman Chalisa लेकर आए है जिसके लिरिक्स इंग्लिश और हिंदी में पब्लिश है। और आप इसका ऑडीओ भी डाउनलोड कर सकते है।

हनुमान चालीसा का पाठ करने से भक्तों को शक्ति और बल मिलता है। यहां हनुमान जी की आराधना के इस पूरे पाठ को पढ़ें:

हनुमान चालीसा का पाठ

श्री गुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि । बरनउँ रघुबर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥

बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवन कुमार । बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं हरहु कलेश विकार ॥

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर जय कपीस तिहुँ लोक उजागर । राम दूत अतुलित बल धामा अंजनि पुत्र पवनसुत नामा ॥

महाबीर बिक्रम बजरंगी कुमति निवार सुमति के संगी । कंचन बरन बिराज सुबेसा कानन कुंडल कुंचित केसा ॥

हाथ बज्र और ध्वजा बिराजै काँधे मूँज जनेऊ साजै । शंकर सुवन केसरी नंदन तेज प्रताप महा जग वंदन ॥

विद्यावान गुनी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर । प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया राम लखन सीता मन बसिया ॥

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा बिकट रूप धरि लंक जरावा । भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे ॥

लाय सजीवन लखन जियाए श्री रघुबीर हरषि उर लाए । रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावै अस कहि श्रीपति कंठ लगावै । सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा नारद सारद सहित अहीसा ॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते । तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना लंकेश्वर भए सब जग जाना । जुग सहस्र जोजन पर भानु लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं जलधि लांघि गए अचरज नाहीं । दुर्गम काज जगत के जेते सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥

राम दुआरे तुम रखवारे होत न आज्ञा बिनु पैसारे । सब सुख लहै तुम्हारी शरणा तुम रक्षक काहू को डर ना ॥

आपन तेज सम्हारो आपै तीनों लोक हांक ते कांपै । भूत पिशाच निकट नहिं आवै महाबीर जब नाम सुनावै ॥

नासै रोग हरै सब पीरा जपत निरंतर हनुमत बीरा । संकट तें हनुमान छुड़ावै मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥

सब पर राम तपस्वी राजा तिन के काज सकल तुम साजा । और मनोरथ जो कोई लावै सोई अमित जीवन फल पावै ॥

चारों जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा । साधु सन्त के तुम रखवारे असुर निकंदन राम दुलारे ॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अस बर दीन जानकी माता । राम रसायन तुम्हरे पासा सादर हो रघुपति के दासा ॥

तुम्हरे भजन राम को पावै जनम जनम के दुख बिसरावै । अंत काल रघुबर पुर जाई जहाँ जन्म हरि-भक्त कहाई ॥

और देवता चित्त न धरई हनुमत सेइ सर्ब सुख करई । संकट कटै मिटै सब पीरा जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं । कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥

जो शत बार पाठ कर कोई । छूटहि बंदि महा सुख होई ॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मँ डेरा ॥

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

हनुमान चालीसा लिरिक्स

Jai Hanuman gyan gun sagar Jai Kapis tihun lok ujagar

Ram doot atulit bal dhama Anjaani putra Pavan sut nama

Mahavir Bikram Bajrangi Kumati nivar sumati ke sangi

Kanchan varan viraj subesa Kanan kundal kunchit kesa

Hath vajra aur dhvaja viraje Kaandhe moonj janeu saje

Shankar suvan kesri nandan Tej pratap maha jag vandan

Vidyavan guni ati chatur Ram kaj karibe ko aatur

Prabhu charitra sunibe ko rasiya Ram Lakhan Sita man basiya

Sukshma roop dhari siyahi dikhava Vikat roop dhari lank jarava

Bhima roop dhari asur sanghare Ramachandra ke kaj sanvare

Laye Sanjivan Lakhan jiyaye Shri Raghuvir harashi ur laye

Raghupati kinhi bahut badai Tum mam priye Bharat hi sam bhai

Sahas badan tumharo yash gaave Asa kahi Shripati kanth lagawe

Sankadik Brahmadi Muneesa Narad Sarad sahit Aheesa

Yam Kuber Digpal jahan te Kavi Kovid kahi sake kahan te

Tum upkar Sugreevahin keenha Ram milaye rajpad deenha

Tumharo mantra Vibheeshan maana Lankeshwar bhaye sab jag jana

Yug sahastra jojan par Bhanu Leelyo taahi madhur phal janu

Prabhu mudrika meli mukh mahee Jaladhi langhi gaye achraj nahee

Durgam kaj jagat ke jete Sugam anugraha tumhare tete

Ram dwaare tum rakhvare Hoat na agya binu paisare

Sub sukh lahe tumhari sar na Tum rakshak kahu ko dar naa

Aapan tej samharo aapai Teenhon lok hank te kanpai

Bhoot pisaach nikat nahin aave Mahavir jab naam sunave

Nase rog harae sab peera Japat nirantar Hanumant beera

Sankat te Hanuman chudavae Man kram vachan dhyan jo lavai

Sab par Ram tapasvi raja Tin ke kaj sakal Tum saja

Aur manorath jo koi lavai Soi amit jeevan phal pavai

Charon jug partap tumhara Hai persidh jagat ujiyara

Sadhu Sant ke tum rakhware Asur nikandan Ram dulare

Ashta sidhi nav nidhi ke dhata As var deen Janki mata

Ram rasayan tumhare pasa Sada raho Raghupati ke dasa

Tumhare bhajan Ram ko pavai Janam janam ke dukh bisraavai

Anth kaal Raghuvir pur jayee Jahan janam Hari Bakht Kahayee

Aur Devta chit na dharahi Hanumanth sehi sarve sukh karehi

Sankat kate mite sab peera Jo sumirai Hanumat balbeera

Jai Jai Jai Hanuman Gosai Kripa karahu Gurudev ki nahi

Jo sat bar path kare kohi Chutahi bandhi maha sukh hohi

Jo yah padhe Hanuman Chalisa Hoye siddhi sakhi Gaurisa

Tulsidas sada hari chera Keejai nath hridaye mein dera

Pavan tanay sankat harana, Mangal murti roop I Ram Lakhan Sita sahit, Hridaya basahu sur bhoop II

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