पारंपरिक मार्केटिंग – एक अभिन्न हिस्सा
आधुनिक डिजिटल मार्केटिंग के दौर में भी पारंपरिक या कंवेंशनल मार्केटिंग अभी भी एक अभिन्न हिस्सा है। चलिए जानते हैं पारंपरिक मार्केटिंग के बारे में:
पारंपरिक मार्केटिंग क्या है?
- टीवी, रेडियो, समाचार पत्र, परिचायक, बिलबोर्ड आदि का इस्तेमाल
- फोन, डाक, बैठकें – व्यक्तिगत कनेक्शन
- प्रत्यक्ष व भौतिक विधियों पर निर्भर
फायदे
- ट्रस्ट और कनेक्शन
- लोगों तक पहुँचना
- ब्रांड पहचान
डिजिटल के दौर में भी, पारंपरिक मार्केटिंग की भूमिका अभी कम नहीं हुई है, बल्कि दोनों का संयोजन सबसे अधिक प्रभावी है।
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